Wednesday 29 November 2023

राजू भैया गंजा है

एक बार की बात है, एक गांव में राजू भैया नाम का एक आदमी रहता था। राजू भैया गंजा था। वह बहुत शर्मीला था और अपने गंजेपन के कारण दूसरों के सामने आने से डरता था। वह हमेशा अपने सिर को टोपी से ढक कर रखता था। एक दिन, राजू भैया जंगल में घूम रहे थे। अचानक, उन्हें एक साधू दिखाई दिया। साधू ने राजू भैया को देखा और कहा, "बेटा, तुम्हारे सिर पर बाल क्यों नहीं हैं?" राजू भैया ने कहा, "मेरे सिर पर बाल नहीं हैं क्योंकि मैं गंजा हूं।" साधू ने कहा, "मैं तुम्हारे गंजेपन को ठीक कर सकता हूं।" राजू भैया ने कहा, "सच में?" साधू ने कहा, "हाँ, सच में। लेकिन तुम्हें एक शर्त पूरी करनी होगी।" राजू भैया ने कहा, "क्या शर्त?" साधू ने कहा, "तुम्हें एक साल तक किसी से भी नहीं बात करनी होगी।" राजू भैया को यह शर्त बहुत मुश्किल लगी। लेकिन वह अपने गंजेपन से छुटकारा पाने के लिए तैयार था। उसने साधू से कहा, "मैं तैयार हूं।" साधू ने राजू भैया को एक मंत्र दिया और कहा, "इस मंत्र को एक साल तक रोजाना सुबह उठकर दोहराओ।" राजू भैया ने साधू से कहा, "धन्यवाद।" राजू भैया ने साधू की शर्त पूरी करने का फैसला किया। वह जंगल में एक गुफा में रहने लगा। वह एक साल तक किसी से भी नहीं बात की। वह सिर्फ अपने मंत्र को दोहराता रहा। एक साल बाद, राजू भैया ने साधू को वापस बुलाया। साधू ने राजू भैया के सिर पर हाथ फेरा और कहा, "मंत्र का असर हो गया है। तुम्हारे सिर पर बाल आ गए हैं।" राजू भैया ने अपने सिर को देखा। उसके सिर पर बाल आ गए थे। वह बहुत खुश हुआ। उसने साधू को धन्यवाद दिया और घर लौट गया। राजू भैया अब अपने गंजेपन से छुटकारा पा चुके थे। वह अब दूसरों के सामने बिना टोपी के आ सकते थे। वह बहुत खुश था। राजू भैया ने अपने जीवन में एक बदलाव किया। वह अब दूसरों से बात करने से नहीं डरता था। वह एक खुशहाल जीवन जीने लगा। शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए। हमें किसी भी चुनौती से नहीं डरना चाहिए।

Sunday 9 July 2023

चेला की परीक्षा

एक गुरु जी थे वो अपने आश्रम में बड़े ही शांत स्वभाव से रहते थे.एक बार उनके पास दो व्यक्ति उनके आश्रम में गए और उनको अपना गुरु बनाने की इच्छा प्रकट की,गुरु जी बड़े ज्ञानी थे उन्होंने उनकी परिक्षा लेने की सोची,गुरु जी ने कहा में आपका गुरु बनने को तैयार हूँ किन्तु मेरी एक संका है तुम उसे दूर कर दोगे तो में निश्चित हो जाऊंगा. गुरु जी ने उन दोनों को एक-एक तरबूज दिया और कहा जहाँ कोई ना हो इसको काट के ले आना. फिर दोनों लोग वहां से तरबुज ले के चले जाते है. एक व्यक्ति कुछ देर बाद वापिस आता है और कटा हुआ तरबूज लाता है.गुरु जी उससे पूछते है कि जब तुमने ये तरबूज काटा था तो उस समय तुम्हे किसी ने नहीं देखा तब उस व्यक्ति ने जबाब दिया कि गुरु जी ये तरबूज में जब काट रहा था तब में एक बड़े से पहाड़ के पीछे छुपा था मुझे किसी ने नहीं देखा. तब कुछ देर बाद वो दूसरा व्यक्ति आया और जो उसके हाथ में तरबूज था वो वैसा ही था जैसा वो लेके गया था. उसने गुरूजी को बताया गुरु जी मुझे वो कोई स्थान नहीं मिला जहां कोई नहीं हो मुझे कही वायु कही वृक्ष कही पहाड हर जगह कोई न कोई था इस लिए में इसे नहीं काट सका मुझे माफ कर दे. उस व्यक्ति की ऐसी बात सुनकर गुरु जी अत्यंत प्रसन्न हुए और उसको अपना चेला बना लिया और दूसरे को बोले भाई तू घर जा और इस तरबूज को खा. इस तरह ज्ञानी शिष्य पाकर गुरुजी प्रसन्न हुए. राधे राधे 🙏🙏

Monday 2 June 2014

एक सत्संग गोष्ठी में कोई पैंसठ लोग हिस्सा ले रहे थे। गोष्ठी पूरे दिन चलनी थी, इसलिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था भी की गई। भोजन समाप्त हुआ और लोग वापस लौटने लगे। दरवाजे पर हर व्यक्ति को एक गुब्बारा दे दिया गया और उस पर अपना नाम लिखने के लिए कहा गया।

सारे गुब्बारे दूसरे कमरे में रख दिए गए। फिर लोगों को कमरे में जाकर अपना गुब्बारा खोजने को कहा गया; वह भी महज तीन मिनट में।

सुनते ही लोग एक-दूसरे को धक्का देते हुए गुब्बारा खोजने लगे। इस धक्कामुक्की के कारण कमरे में भारी अराजकता फैल गई। लोग एक-दूसरे से टकरा रहे थे, ऊपर गिर रहे थे, गुब्बारा खोजने के बजाय उनका वक्त अपना बचाव करने में ही निकल गया, और किसी भी व्यक्ति को अपने नाम का गुब्बारा नहीं मिला।

फिर उनसे कहा गया कि अब वे एक-एक कर कमरे में जाएं और कोई भी एक गुब्बारा उठाकर ले आएं। देखें कि उस गुब्बारे पर किसका नाम लिखा है। और जिसका नाम लिखा है, उस व्यक्ति को गुब्बारा दे दें। इस तरह दो मिनट में ही हर व्यक्ति को अपना नाम लिखा गुब्बारा मिल गया।

तब गुरु ने कहा, जीवन में भी यही होता है कि लोग अपने इर्द-गिर्द खुशियों की तलाश कर रहे हैं, लेकिन वह उन्हें नहीं मिल रही। असल में दूसरों की खुशी में ही हमारी खुशी है। आप उन्हें उनकी खुशियां सौंप दें, आपको अपनी खुशी मिल जाएगी।

Thursday 8 May 2014

बचपन वाला इतवारबचपन वाला इतवार 
जब लगे पैसा कमाने,
तो समझ आया,
शौक तो मां-बापके पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसोंसे तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है।
एक घड़ी ख़रीदकर हाथमे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!
सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता!!

Thursday 16 January 2014


Shayari on Life
Toofan mein taash ka ghar nahi banta,
Rone se bigda muqaddar nahi banta,
Duniya ko jitne ka hausla rakho,
Ek haar se koi faqeer aur ek jeet se koi siqandar nahi banta…